समय की पहचान

सारांश

कवि सियारामशरण गुप्त जी समय की पहचान इस कविता के द्वारा समय के महत्व को समझाना चाहते हैं। उद्योग करनेवालों को कभी सुसमय नहीं मिल पाता है। समय बहुत ही अनमोल है। समय नष्ट करके कोई सुख नहीं पा सकता है। बहाने बनाने का कारण आलस है। कल है या नहीं कोई नहीं जानता है इसलिए जो काम करना है आज ही करना है। एक चक्रवर्ती भी खोए समय को नहीं पा सकता है। समय की समता करने वाला कोई द्रव्य नहीं है। फिर भी हम समय को खोकर चिंता नहीं करते हैं। समय ईश का दिया हुआ अनुपम धन है।समय ही हमारा जीवन है। इसलिए एक पल को भी तुच्छ नहीं मानना चाहिए क्योंकि पल पल से ही जीवन बना है। आत्मविश्वास के साथ मन लगाकर काम करना है। संदेह को भगाना है। काम करनेवालों को हर समय सुसमय होता है । इसे खोकर पीछे पछताना पड़ता है।

ಕನ್ನಡ ಸಾರಾಂಶ

ಕವಿ ಸಿಯಾರಾಮಶರಣ ಗುಪ್ತ ಅವರು ಸಮಯದ ಪರಿಚಯ ಈ ಕವಿತೆಯ ಮುಖಾಂತರ ಸಮಯದ ಮಹತ್ವವನ್ನು ತಿಳಿಸ ಬಯಸುತ್ತಾರೆ. ಉದ್ಯೋಗ ಮಾಡುವವರಿಗೆ ಯಾವಾಗಲು ಒಳ್ಳೆಯ ಸಮಯ ಎನ್ನುವುದು ಸಿಗುವುದಿಲ್ಲ. ಸಮಯ ತುಂಬಾ ಅಮೂಲ್ಯವಾದದ್ದು. ಸಮಯವನ್ನು ನಷ್ಟ ಮಾಡಿ ಯಾರು ಸುಖವನ್ನು ಪಡೆಯಲಾರರು. ನೆಪ ಮಾಡಲು ಮುಖ್ಯಕಾರಣ ಆಲಸ್ಯವಾಗಿದೆ. ನಾಳೆ ಇದೆಯೋ ಅಥವಾ ಇಲ್ಲವೋ ಎಂಬುದು ಯಾರಿಗೂ ಗೊತ್ತಿಲ್ಲ ಅದಕ್ಕಾಗಿ ಏನು ಮಾಡಬೇಕೆಂದು ಅದನ್ನು ಇಂದೇ ಮಾಡು. ಒಬ್ಬ ಚಕ್ರವರ್ತಿಯು ಸಹ ಕಳೆದುಹೋದ ಸಮಯವನ್ನು ಮತ್ತೆ ಪಡೆಯಲಾರನು. ಸಮಯದ ಸಮಾನತೆಯನ್ನು ಮಾಡಬಲ್ಲ ಯಾವುದೇ ದ್ರವ್ಯವಿಲ್ಲ ಆದಾಗ್ಯೂ ನಾವು ಸಮಯವನ್ನು ಕಳೆದುಕೊಂಡು ಚಿಂತೆ ಮಾಡುವುದಿಲ್ಲ. ಸಮಯವು ಭಗವಂತನು ನೀಡಿದ ಅನುಪಮವಾದ ಧನವಾಗಿದೆ. ಸಮಯವು ನಮ್ಮ ಜೀವನವಾಗಿದೆ. ಒಂದು ಕ್ಷಣವನ್ನು ಕನಿಷ್ಠವೆಂದು ತಿಳಿಯಬಾರದು ಏಕೆಂದರೆ ಕ್ಷಣ ಕ್ಷಣದಿಂದಲೇ ಜೀವನವಾಗಿದೆ.ಆತ್ಮವಿಶ್ವಾಸದ ಜೊತೆಗೆ ಮನಸ್ಸು ಕೊಟ್ಟು ಕೆಲಸವನ್ನು ಮಾಡಬೇಕು.ಸಂದೇಹವನ್ನು ಓಡಿಸಬೇಕು. ಕೆಲಸ ಮಾಡುವವನಿಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಸಮಯವು ಒಳ್ಳೆಯ ಸಮಯವೇ ಆಗಿದೆ ಇದನ್ನು ಕಳೆದುಕೊಂಡು ಹಿಂಬದಿಯಿಂದ ಪಶ್ಚಾತಾಪ ಪಡಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ.

प्रश्नोत्तर

एक अंक के प्रश्नोत्तर

उत्तर: कवि के अनुसार समय नष्ट करके मनुष्य को सुख नहीं मिलता ।

उत्तर: बहाने बनाने का प्रमुख कारण आलस है।

उत्तर : समय ईश का दिया हुआ अनुपम धन है ।

उत्तर : कवि आत्मा पर विश्वास करने को कहते हैं ।

उत्तर : समय के खोने से पीछे पछताना पडता है ।

उत्तर : समय को जो अपना सच्चा साथी बना लेगा वह अपने काम में सफल होगा ।

उत्तर : समय की पहचान कविता में यह संदेश दिया गया है कि काम करने का जो अवसर प्राप्त होता है उसे व्यर्थ जाने नहीं देना चाहिए ।

उत्तर : मानव आलस से ही बहाना बना रहा है ।

उत्तर : मानव को समय की चिंता नहीं है ।

उत्तर : समय के खोने से पछताना होगा ।

दो अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: मनुष्य को समय नष्ट नहीं करना है।. सतत परिश्रम करने से आलस और बहाने बनाना छोड़कर काम करने से मनुष्य को सुख की प्राप्ति संभव है।

उत्तर: हर समय को सुसमय मानकर मनुष्य को काम करना चाहिए। आलस और बहाने बनाना छोड़कर, जो काम कल करना है उसे आज ही कर लेना चाहिए।

उत्तर : मनुष्य को मन लगाकर अपना काम करना चाहिए। अपने सामर्थ्य को जानकर आत्मविश्वास से काम करना चाहिए। प्रत्येक समय को सुसमय मानकर अपना काम करना चाहिए। ऐसा न करने पर हमेशा उसे पछताना पडेगा।

उत्तर : समय के खोने से वापस नहीं मिलेगा ,वह कितना भी धनिक , चक्रवर्ती क्यों न हो । समय ईश का दिया हुआ अनुपम धन है । कोई द्रव्य इसकी समानता नहीं कर सकता है । ऐसा सुसमय फिर नहीं मिलेगा । इसलिए इसे खोने से पछताना पडता है ।