कश्मीरी सेब

कविता का सारांश

हिंदी उपन्यास साम्राट मुंशी प्रेमचंद (धनपतराय) अपने अनुभव को कहानी के रूप में प्रकट किया है। कहना चाहते हैं आज के जमाने में लोग अपने खान-पान में विटामिन के लिए गाजर,आम, सेब,तथा नीमकौडी तक खाने लगे हैं। एक दिन लेखक को सेब खाने की इच्छा हुई और उन्होने चार आने देकर आधा सेर सेब एक पंजाबी मेवाफरोश की दुकान से खरीदा ।सेब खरीदते समय लेखक ने दूकानदार पर पूरा भरोसा ( विश्वास) रख कर सेबों को देखे बिना अपने रूमाल में डालने को कहा। अगले दिन जब सेब खाने के लिए लिफाफा खोला तो उन्हें मामूम हुआ कि एक भी सेब खाने के लिए लायक नहीं थे।पहला सेब सडा हुआ था । दूसरा आधा सडा हुआ था। तीसरा एक तरफ दबकर पिचक गया था।चौथे सेब में काला सुराख था। वे समझ गये कि जान बूझकर दूकानदार ने उन्हें धोखा दिया है। इससे लेखक को आज के समाज के चारित्रिक पतन पर क्रोध आया । इस प्रकार धोखा क्यों हुआ? सोचने पर लेखक को लगा कि अपने ही सहयोग से, बेपरवाही से, हुई है । और आदमी बेईमानी तभी करता है, जब उसे अवसर मिलता है । लेखक ने खुद दूकानदार को अवसर दिया । अपने इस अनुभव के कारण लेखक ने हमें चेतावनी दी हैं कि खरीददारी करते समय सावधानी बरसना चाहिए और मोहरम की घटना को याद करते हुए कहते हैं कि उन दिनॊं में अगर भुलकर पैंसे की जगह अठन्नी देने पर दूकानदार माफी माँग कर पैसे लौटाते थे।

ಕನ್ನಡ ಸಾರಾಂಶ

ವಸ್ತುಗಳನ್ನು ಖರೀದಿಸುವಾಗ ಎಚ್ಚರಿಕೆ ವಹಿಸುವದು ಸೂಕ್ತ ಎಂದು ಲೇಖಕ ಪ್ರೇಮಚಂದ್ರರು ತಮ್ಮ ಅನುಭವವನ್ನು ಮಾರ್ಮಿಕವಗಿ ನಮ್ಮ ಮುಂದೆ ಬಿಂಬಿಸಿದ್ದಾರೆ. ರಸ್ತೆಯಲ್ಲಿಯ ಪಂಜಾಬಿ ಹಣ್ಣಿನ ವ್ಯಾಪಾರಿಯಿಂದ ಆರೋಗ್ಯದ ದೃಷ್ಠಿಯಿಂದ (ಹಣ್ಣು, ಗಜ್ಜರಿ, ಬೇವಿನಕಾಯಿ ತಿಂದರೆ ಒಳಿತೆಂದು) ನಾಲ್ಕು ಆಣೆ ನೀಡಿ ಅರ್ಧ ಸೇರು ಸೇಬು ಖರೀಧಿಸುತ್ತಾರೆ. ಚೌಕಾಸಿ ಮಾಡದೇ ರುಮಾಲಿಗೆ ಹಾಕ್ಕೆಂದು ಹೇಳಿದ್ದರಿಂದ ತಿನ್ನಲು ಬಾರದ ಕೊಳೆತ ಹಣ್ಣುಗಳನ್ನು ಪಡೆದು ಅಂಗಡಿಕಾರನಿಂದ ಲೇಖಕರು ಪರಿತಪಿಸಿದರು. 1 ನೇ ಸೇಬುಕೊಳೆತಿತ್ತು. ( ಸಿಪ್ಪೆ ಮಾಗಿತ್ತು) 2 ನೇ ಸೇಬು 1/2 ಕೊಳೆತ್ತಿತ್ತು. 3ನೇ ಸೇಬು ಕೊಳೆಯದೆ ಒಂದೆಡೆ ಚಚ್ಚಿ ಹೊಗಿತ್ತು. 4 ನೇ ಸೇಬಿವಿನಲ್ಲಿ ಕಪ್ಪು ರಂದ್ರ ಇತ್ತು. ಇದರಿಂದ ಲೇಖಕರಿಗೆ ಸಮಾಜದ ಚಾರಿತ್ರಿಕ ಅದೋಪಥತನದ ಬಗ್ಗೆ ಬೇಸರ ವಾಯಿತು. ಹಣ ಕಳೆದುಕೊಂಡ ಬಗ್ಗೆ ಬೇಸರ ವಾಗಲಿಲ್ಲಾ. ನಾಲ್ಕರಲ್ಲಿ ಒಂದು ಸೇಬು ಕೆಟ್ಟರೆ ಆ ಅಂಗಡಿಕಾರನು ಕ್ಷಮೆಗೆ ಅರ್ಹನಾಗುತ್ತಿದ್ದ ಹಾಗೂ ಕಣ್ತಪ್ಪಿನಿಂದ ಹಾಳಾದ ಸೇಬು ನೀಡಿರಬಹುದೆಂದು ತಿಳಿಯಬಹುದಿತ್ತು ಆದರೆ ನಾಲ್ಲೂ ಕೆಟ್ಟಿದ್ದರಿಂದ ಉದ್ದೇಶಪೂರ್ವಕವಾಗಿಯೇ ಮೋಸ ಮಾಡಿದನೆಂದು ತಿಳಿದರು. ಹಾಗೂ ಈ ಮೋಸಕ್ಕೆ ತನಗೆ ತಾನೇ ಆತ್ಮ ವಿಮರ್ಶೆ ಮಾಡಿದಾಗ ಖರೀದಿಸುವಾಗ ಸೇಬುಗಳನ್ನು ಪರಿಶೀಲಿಸದೇ ಇರುವದು. ಈ ಲೇಖಕರು ತಮ್ಮ ಹಾವ-ಭಾವಗಳಿಂದ (Body language) ಚೌಕಶಿ ಮಾಡದವ, ಹಾಗೂ ಪುನ: ವಾಪಸ ಸೇಬು ಹಿಂತಿರಿಗಿಸಲಾರದವ ಎಂದು ತೋರ್ಪಡಿಸಿದ್ದರು. ಅಂಗಡಿಕಾರನಿಗೆ ಮೋಸ ಮಾಡಲು ಎಲ್ಲಾ ಅವಕಾಶಗಳನ್ನು ನೀಡಿದ್ದರು.
ಮೊದ ಮೊದಲು ವ್ಯಾಪಾರಿಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಾಮಾಣಿಕತೆ ಇತ್ತು ಹೇಗೆಂದರೆ ಲೇಖಕರು ಮೋಹರ್೦ ಜಾತ್ರೆಯ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಸಿಹಿ ತಿಂಡಿ ಖರೀದಿಸಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಹಣ ಕೊಟ್ಟು ಬಂದಾಗ ಆಂಗಡಿಕಾರನು ಕ್ಷಮೆ ಯಾಚಿಸಿ ಸಂದಾಯವಾದ ಹೆಚ್ಚುವರಿ ಹಣವನ್ನು ಲೇಖಕರಿಗೆ ಹಿಂತಿರುಗಿಸಿದ್ದನು. ಆದರೆ ಇಂದು ಜನಪ್ರಿಯ ಕಶ್ಮೀರಿ ಸೇಬು ಎಂದು ಹಾಳಾದ ಸೇಬುಗಳನ್ನು ಮೋಸಮಾಡಿ ಮಾರಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ ಲೇಖಕರು ತಮ್ಮಂತೆ ವ್ಯಾಪಾರ ಮಾಡಿದರೆ ನಿಮಗೂ ಕಶ್ಮೀರಿ ಸೇಬು (ಹಾಳಾದ ಸೇಬು) ದೊರಕಬಹುದೆಂದು ಎಚ್ಚರಿಸಿದ್ದಾರೆ.

प्रश्नोत्तर

अनुरूपता प्रश्न

उत्तर: सब्जी.

उत्तर: छेद.

उत्तर: उपन्यास.

उत्तर: सेब.

उत्तर: काला सुरा्ख.

एक अंक के प्रश्नोत्तर

उत्तर: लेखक ने कस्मीरी सेब मेवाफरोश की दुकान से लिया ।

उत्तर: गाजर को मेजों पर स्थान मिलने लगा है ?

उत्तर: प्रात:काल नाश्ते के समय लेखक ने फल खाने को लिफाफा खोला।

उत्तर: आदमी बेईमानी तभी करता है कि उसे अवसर ( मौका) मिलता है।

उत्तर: लेखक ने रेवडियाँ खरीद कर अठन्नी दी थी।

उत्तर: प्रेमचंद के कहानियों के संकलन का नाम 'मानसरोवर' है।

उत्तर: एक सेब रोज खाने से डॉक्टरों को दूर रख सकते हैं।

दो अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: आजकल शिक्षित समाज में विटामिन और प्रोटीन के शब्दों में विचार करने की प्रवॄत्ति बड रही हैं।

उत्तर: गाजर पहले गरीब लोग अपने पेट भरने के लिए खाते थे । अमीर लोग सिर्फ उसका हलवा ही खाते थे। आब उसमें विटामिन ज्यादा होने के कारण गाजर को भी मेजों पर स्थान मिलने लगा हैं।

उत्तर: खरीददारी करते समय हमें सावधानी बरतना चाहिए नहीं तो हमें दूकानदारों से धोखा खाना पडता है।"

चार अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: चारों के चारों सेब खराब मिलने पर लेखक ने यह सोचा कि एक सेब सडा हुआ होता तो वे दूकानदार को क्षमा के योग्य मानते और सोचते कि उसकी निगाह न पडी होगी। मगर चारों के चारों सेब खराब निकल जाएँ, यह तो साफ, दौखा है। पर इसमें उनक भी सहयोग था कि उन्होने दूकानदार पर विश्वास रखा था और सेबों को देखे बिना उसके हाथ में रूमाल रख दिया ।

उत्तर: लेखक ने बहुत साल पहले मुहरम के मेले में एक दूकान से एक पैसे की रेवाडियाँ ली थी और उसे एक पैसे के बदले में भुल से अठन्नी दी थी। घर आकर जब भूल मालूम हुई तो दूकानदार के पास दौड़ा गया । पर आशा नहीं थी कि वह अठन्नी लौटा देगा। लेकिन उसने प्रसन्नचित्त से अठन्नी को लौटा दी और क्षमा भी माँगी।


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